भगवान तो अंधे नहीं है....


      एक दिन में अपने घर से बाहर निकला। शाम का समय थामैंने अपने मित्र को बुलाया। तब हम दोनों नगर से बाहर एक मंदिर में दर्शन के लिए चल दिये। हम घर से थाडे दूर निकले ही होंगेकि हमे एक अंधा आदमी मिल गया जो भी मंदिर के दर्शन के लिए जा रहा था। उस अंधे को देखकर मेरे मित्र को हंसी आ गयी। उसकी हंसी का कारण मुझे समझ में नहीं आया।


      
     मैंने उससे कहा- तुम क्यों हंस रहे होमेरे मित्र ने उत्तर दिया यह अंधा मंदिर क्यों जा रहा हैइसे तो कुछ भी दिखाई नहीं देगा। मैरे मित्र की यह बात उस अंधे व्यक्ति ने भी सुन लिया और विनम्रता पूर्वक कहने लगा आप सही कह रहे है। मै मंदिर में कुछ भी नहीं देख सकता। किन्तु भगवान तो अंधे नहीं है वह तो मुझे अवश्य देखेंगे। मै उनसे प्रार्थना करूंगा कि वे किसी को अन्धा न बनाये।

      उसकी यह बात सुनकर मेरी आँखें नम हो गयी और मेरे मित्र की नजरे शर्म से झुक गयी। 
                   

Post a Comment

1 Comments