“आम
आदमी” यह
शब्द सुनते ही सबके दिमाग में एक बसी हुयी छवि उभरती है, कि एक आम आदमी जिसकी कमजोरी
उसका परिवार होता है। उसके परिवार की मूलभूत जरूरतों को पूरा करना उसकी समस्या होती
है। क्या आपने कभी सोचा है, कि आम आदमी है कौन?
यदि सूक्ष्म रूप से देखा जाए तो आम जनता ही देश को चलाती है, लेकिन हमेशा से ही उनकी समस्याओ और जरूरतों को अनदेखा किया गया है। एक कहावत अनुसार-“आम आदमी की 3 मूलभूत जरूरते रोटी, कपड़ा और मकान है।” लेकिन अब ऐसा नहीं रहा, अब उनकी जरूरत रोटी, कपड़ा, मकान के साथ उच्च शिक्षा और रोजगार भी है।
आम इंसान जिसने पूरे देश को संभाला है। कही किसान
के रूप में, कही व्यापारी के रूप में, तो कही सीमाओं पर पहरा देने
वाले फोजी के रूप में। समान्यतः हम देश की उपलब्धियों के लिए सरकार को वजह मानते है।
लेकिन क्या सच में देश को सिर्फ सरकार या नेता चलाते है या फिर एक आम इंसान?
यदि सूक्ष्म रूप से देखा जाए तो आम जनता ही देश को चलाती है, लेकिन हमेशा से ही उनकी समस्याओ और जरूरतों को अनदेखा किया गया है। एक कहावत अनुसार-“आम आदमी की 3 मूलभूत जरूरते रोटी, कपड़ा और मकान है।” लेकिन अब ऐसा नहीं रहा, अब उनकी जरूरत रोटी, कपड़ा, मकान के साथ उच्च शिक्षा और रोजगार भी है।
लेकिन आज भी हमारे देश में नजाने कितने लोगों
को भूखे पेट सोना पढ़ता है। और न जाने कितने लोग भर पेट भोजन न मिलने के कारण मृत्यु
को प्राप्त हो जाते है। कोई रोजगार ने मिलने पर उसे अपनी नियति मानकर जैसे तैसे अपना
जीवन यापन करने लगता है। तो कोई योग्य होकर भी अपनी पसंदीता स्कूल कॉलेज में Admissions न मिलने के कारण आत्महत्या कर लेता है।
पूरे देश का पेट भरने वाले किसान स्वयं अपने
परिवार को 2 वक्त का भर पेट खाना खिला नहीं पाते। वर्तमान में बिगड़ती हुयी कानून व्यवस्था
भी देश की एक बड़ी समस्या बन कर उभरी है। जिसने न केवल आम जनता को परेशान कर रखा है, बल्कि पूरे देश को खोखला करता
जा रहा है।