एक बार यूनान देश
में शानदार प्रदर्शनी लगी थी, जिसमे देश विदेश से
चित्रकारों के चित्र प्रदर्शन में रखे गए थे। एक चित्र में अंगूर के गुच्छे इतने
असली लग रहे थे कि अनेक पक्षी उस चित्र को असली समझकर अंगूर खाने के लिए आ रहे थे।
लोगों ने उस चित्र कि बड़ी प्रसंसा कि, परंतु चित्रकार बहुत दुखी था। किसी व्यक्ति ने उसके पूछा- आपके चित्र कि इतनी प्रसंसा हो रही है फिर भी आप दुखी है आपके दुख का क्या कारण है?
लोगों ने उस चित्र कि बड़ी प्रसंसा कि, परंतु चित्रकार बहुत दुखी था। किसी व्यक्ति ने उसके पूछा- आपके चित्र कि इतनी प्रसंसा हो रही है फिर भी आप दुखी है आपके दुख का क्या कारण है?
चित्रकार बोला- इस चित्र में दोष है। लोग उसकी बात
सुनकर आश्चर्य में पड़ गये। व्यक्ति ने कहा- क्या दोष है? चित्रकार बोला- अंगूर का चित्र असली लग रहा है, परंतु
जिस मनुष्य ने अपने हाथ में अंगूर का गुच्छा ले रखा है वह इतना वास्तविक नहीं है।
यही कारण है कि पक्षी गुच्छे पर टूटे पड़े।
मैं अभी
चित्रकारिता में उतना कुशल नही हूँ, जितना आप मुझे समझ रहे है।
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